हर महीने बेटे को खून चढ़ाने एक पिता करता है सैकड़ों किलोमीटर साइकिल पर सफर, कुणाल षाडंगी ने बच्चे के इलाज के लिए किया पहल

झारखण्ड के गोड्डा में एक मजदूर पिता अपने बेटे की जान बचाने को कर रहा संघर्ष। दिलीप यादव का बेटा विवेक जो थैलेसीमिया रोग से ग्रस्त है और उसे हर महीने खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। बच्चे का ब्लड ग्रुप ‘A’ के लिए हर महीने उसके पिता साइकिल से करते हैं सैकड़ों किमी का सफर। दिलीप यादव मजदूरी का काम करते हैं और उसका इलाज कराने में सक्षम नहीं है।

एक साइकिल के सहारे एक पिता हर महीने 400 किमी जाते हैं और अपने बेटे को खून चढ़वाते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि इस बीमारी के इलाज में करीब 10 लाख का खर्च आएगा। लेकिन दिलीप इतनी बड़ी रकम नहीं जुटा सकते इसीलिए वह हर महीने खून चढ़वाने गांव से 400 किमी दूर जाने को मजबूर हैं।

इसकी जानकारी पत्रकार सोहन सिंह जी को हुई तो उन्होंने पूर्व विधायक एवम भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाडंगी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट कर इस बच्चे को मदद के लिए आग्रह किया। कुणाल षाडंगी ने तुरंत जानकारी ले बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल विकास विभाग को ट्वीट कर इस बच्चे के लिए मदद मांगी। इस पर थोड़ी देर में ही बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट कर बताया कि यह नोट कर लिया गया है।

इधर झारखंड के मुख्यमंत्री ने भी इस पर संज्ञान लेते हुए गोड्डा के उपायुक्त को लिखा कि बच्चे का “मुख्यमंत्री गंभीर रोग उपचार योजना” के तहत मदद की जाए, लेकिन संभवत: थैलेसीमिया रोग का इलाज मुख्यमंत्री गंभीर रोग उपचार योजना के अधीन नहीं आता है यह रोग आयुष्मान योजना के तहत उपचार किया जाता है।

ऐसे में बच्चे की मदद में देरी हो सकती है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल सारंगी ने इस पर कहा की जल्द से जल्द बच्चे को उसी ज़िले में मदद मिलनी चाहिए क्योंकि thalassemia मरीज़ों के लिए रक्त मिलने से बड़ी चुनौती उन्हें यथासंभव उनके घर के पास ब्लड और समय पर दिलवाना है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की प्रकिया बहुत पेचीदा है। इसलिए फोकस लगातार दी जाने वाली ट्रांसफ्यूजन को आसान बनाना होना चाहिए। बच्चे का इलाज अच्छे अस्पताल में जल्द मिलने से उसके पिता को हर महीने साइकिल से लंबा सफर तय करना नहीं पड़ेगा और बच्चा भी जल्द स्वस्थ हो और पढ़ लिख एक सामान्य जीवन जी सकेगा।

आशा है कि मुख्यमंत्री जल्द गोड्डा के उपायुक्त को आदेश देंगे कि बच्चे का इलाज यथाशीघ्र उपयुक्त योजना के तहत शुरू की जाए।

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