योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया ने व्यवसायिक पाठ्यक्रम के छात्रों को छात्रवृत्तियाँ वितरित की
प्रतिवर्ष योगदा छात्रों, मुख्यतः वंचित सुविधाओं की पृष्ठभूमि वाले छात्रों की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली छात्रवृत्तियाँ प्रदान करती है।
मई 5, को छात्रवृत्ति कार्यक्रम के एक भाग के रूप में योगदा सत्संग सोसाइटी (वाईएसएस) ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी, रांची के बी.टेक. कर रहे तीन छात्रों को 2,85,000 रुपये की छात्रवृत्तियाँ दी। इस छात्रवृत्ति पुरस्कार की परीक्षा (स्कॉलरशिप अवार्ड) योगी कथामृत (Autobiography of a Yogi) पुस्तक पर आधारित होती है और यह उन जरूरतमन्द छात्रों को दी जाती है जो प्रोफेशनल डिग्री कोर्स कर रहे होते हैं। बी.टेक. मैकेनिकल इंजीनियरिंग के सिद्धान्त गोखले और प्रेम प्रकाश क्रमशः प्रथम और द्वितीय स्थान पर रहे और प्रत्येक को 1.25 लाख रुपये, और सांत्वना पुरस्कार के रूप में, तृतीय स्थान प्राप्त, चेरूकुमुदी श्रीवास्तव को 35,000 रुपये के चेक दिये गये। स्वामी अमरानन्द गिरि ने विजेताओं को चेक दिये तथा उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये अपनी शुभकामनायें अभिव्यक्त कीं। इस छात्रवृत्ति प्रोत्साहन से छात्र अति उत्साहित और प्रेरित हुए।
वाईएसएस छात्रवृत्ति विभाग प्रति वर्ष वित्तीय सहायता प्रदान करके आर्थिक रूप से कमजोर और कुशाग्र बच्चों की शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करता है। योगदा कई श्रेणियों में छात्रवृत्तियाँ देती है यथा, जो छात्राओं, व्यवसायिक पाठ्यक्रम के छात्रों और वंचित सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से सम्बन्धित चुनिंदा स्कूली बच्चों की शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
गत वर्षों में छात्रों को दी गयी वित्तीय सहायता ने उन्हें IIT धनबाद में प्रवेश पाने में सहायता की है। इन बच्चों के अभिभावक पटरी-विक्रेता और रिक्शा चालक थे। पढ़-लिख कर ये बच्चे अब अच्छी धनराशि कमा रहे हैं, और उनके परिवार निर्धनता की रेखा से बाहर हो गये हैं। यह उनके जीवन में एक महत्त्वपूर्ण और सुखद परिवर्तन है।
सन् 1917 में, स्थापित योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस), अपने संस्थापक और गुरुदेव, श्री श्री परमहंस योगानन्द, जो 100 से अधिक वर्षों से एक आध्यात्मिक गौरव ग्रन्थ योगी कथामृत (Autobiography of a Yogi), के लेखक हैं, के आध्यात्मिक और मानवीय कार्यों को सम्पन्न कर रही है। योगानन्दजी द्वारा प्रतिपादित, संस्था के उद्देश्य और आदर्श, सत्यान्वेशियों को ऐसा पूर्ण और भरा-पूरा जीवन जीने हेतु मार्गदर्शन करते हैं—जो आध्यात्मिक अभ्यासों और मानव-जाति की सेवा के सन्तुलित मिश्रण का हो।
योगदा के उद्देश्यों और आदर्शों में से एक है, “अपनी ही बृहद् आत्मा (परमात्मा) के रूप में मानव-जाति की सेवा करना”, जो सोसाइटी के सभी धर्मार्थ और संस्थागत उपक्रमों के लिये मिशन वक्तव्य के रूप में कार्य करता है। इस मिशन के अन्तर्गत, योगदा धर्मार्थ शैक्षणिक संस्थान चलाती है, निर्धन छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करती है, धर्मार्थ चिकित्सा सेवायें देती है, योगानन्दजी की ‘जीने की कला’ की शिक्षाओं के माध्यम से आध्यात्मिक प्रचार-प्रसार करती है और बच्चों के लिये शिविर आयोजित करती है तथा राष्ट्रीय आपदाओं के समय राहत कार्य करती है। अधिक जानकारी के लिये : yssofindia.org