न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी– इस कहावत का अर्थ है,ना मीडिया होगी ना आलोचना होगी, और फिर आप कहेंगे “Sometimes, I Miss Critics”
जब आप मीडिया को ही खरीद लेंगे तो कहा से आपकी आलोचना होगी, और फिर भी कोई हिम्मत करता है तो उसके वाहा ED,CBI,IT का छापा पड़वा दो। यह बातें कहीं है गुजरात युवा कांग्रेस के प्रवक्ता रोहन पांडे का, उन्होंने आगे कहा कि
मोदीजी, आलोचना और आलोचकों को कितना याद करते है उसके बारे में दुनिया के सबसे मशहूर मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने अपने आठ मई के अंक के संपादकीय में लिखा है कि पीएम मोदी का ध्यान ट्विटर पर अपनी आलोचना को दबाने पर ज़्यादा और कोविड – 19 महामारी पर काबू पाने पर कम है,
मोदीजी को आलोचना कितना पसंद है हमने देखा है किस तरह ब्रिटिश उच्चायुक्त को नसीहत के लिए बुलाया गया था क्योंकि उनकी संसद ने भारत के किसानों के विरोध पर चर्चा की थी।
हमने देखा है किस तरह मोदी सरकार ने COVID-19 महामारी में सरकार के व्यवहार को लेकर आलोचना करने वाले ट्वीट्स को हटा दिया,
हमने देखा है किस तरह एक न्यूज चैनल के प्राइम टाइम शो को ब्लैक आउट कर दिया जाता है,
मोदीजी को आलोचना इतनी पसंद है की भारत का “वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम” में 142 स्थान है 180 देशों में से,
मोदीजी को इतना ही आलोचकों की याद आती है तो वो “किसान आंदोलन” में चले जाए, या देश के किसी भी चौराहे पर चले जाए वहां महिलाएं और बेरोजगार युवा उन्हें अपने पुराने वादे याद दिला देंगे।
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