लोग क्या कहेंगे? यह सोच कई लोगों की प्रगति में बाधा बनी है। आईएस रमेश घोलप ने तस्वीर के माध्यम से बतायी गयी एक कहानी पढ़ी थी। जिसे एक बार फिर उन्होंने सोशल मीडिया में एक प्रेरक पोस्ट किया है । कहानी कुछ इस प्रकार है कि…..एक गधे को लेकर पति-पत्नी रास्ते से कही जा रहे थे। पहली तस्वीर में पति-पत्नी और गधा तीनों चल रहे थे। उनको देखकर लोग बोल रहे थे, ‘कितने मूर्ख है ये? चलकर ही जाना था तो गधे का क्या उपयोग?’ दूसरी तस्वीर में वह दोनों गधे पर बैठकर जा रहे थे। उसपर लोग बोल रहे थे, ‘कितने निर्दयी लोग है, दोनों एक गधे पर बैठे है।उस बेचारे जानवर के बारें में कुछ भी नहीं सोचा।’ बीवी को गधे पर बिठाकर खुद साथ में चल रहे तीसरी तस्वीर में लोग कह रहे थे, ‘देखो, बीवी का कितना गुलाम है।’और चौथी तस्वीर में पति गधे पर बैठा था, बीवी साथ में चल रही थी। उस तस्वीर पर लोगों की प्रतिक्रिया थी, ‘देखो कितना सेल्फीश है। बीवी को चला रहा है और खुद गधे पर बैठकर आराम से जा रहा है।’
समझने की बात यह है की कुछ लोगों को सिर्फ निगेटिव सोचने और बुराइयाँ निकालने की आदत होती है। उनपर ध्यान मत दिजिये। कई हुनरमंद युवाओं के प्रयासों में बाधा डालने का काम ये लोग करते है।जीवन का रास्ता खुद चुनना होता है और उस रास्ते पर खुद के साथ ईमानदार रहकर सफर करना चाहिये। जो मैं कर रहा हूं वह काम सही है, और लोगों के भले के लिये है ऐसा खुद को लगा तो उसका स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिये। जैसे गलत काम को गलत कहनेवाले लोग है वैसे ही सही काम को भी गलत कहकर हर कदम पर उसका गलत प्रचार करनेवाले लोग भी समाज में बहुत है। वो हर जगह आपको मिलेंगे। उनके साथ बिना बहस किये आगे बढ़ते रहना चहिए, अपना काम करते रहना चाहिये। क्योंकि अगर आप किसी मूर्ख व्यक्ति के साथ बहस करेंगे तो वह आपको उसकी लेवल पर लाकर छोडेगा।अ गर कोई आपके खिलाफ प्रचार कर रहा है तो उसको नजर अंदाज करके खुद की सफलता के लिये शिद्दत से मेहनत करना यही सबसे अच्छा जवाब है।
जब रमेश जी सरकारी शिक्षक बने थे तो सिविल सेवा परिक्षा की तैयारी करने के लिये 2010 में नौकरी का इस्तीफ़ा दिया था। उस समय लोग उन्हें कहते थे, ‘पागल हो गया है ये, इसे रहने के लिये घर नहीं है, माँ चूड़ियाँ बेचती है और इसने अच्छी खासी सरकारी नौकरी का इस्तीफ़ा दिया।’ और आगे जाकर 2012 में जब वो आईएएस बने तो यही लोग बोलने लगे, ‘हिम्मत और खुद के उपर का भरोसा क्या होता है ये रमेश घोलप से सीखो। सरकारी नौकरी का इस्तीफ़ा देने की हिम्मत दिखायी थी उसने। जो ठान लिया वह हासिल किया।’ ऐसे होते है कुछ लोग। लोग क्या कहेंगे यही रमेश जी सोचते रहते तो आज वो आईएएस नहीं होते।
भला आपके ज़िंदगी के सपने और उसे सच कर दिखाने का साहस कोई और कर सकता है? नही न… तो फिर औरों के हिसाब से क्यों चलना…आपकी योग्यता, क्षमता, पसंद, सपने, ऊर्जा ये सब सिर्फ आपको पता होते है।उसके अनुसार निर्णय लेना चाहिये। लोग चाहे कुछ भी कहे, खुद के परिश्रम से वह निर्णय सही था यह साबित करके दिखाना चाहिये। आपकी सफलता कभी न गिरने में नही है बल्कि गिर कर उठने में है।जब कोई बात आपके बस की नहीं है ऐसा लोग कह रहे होते है, तभी वह कर के दिखाने में असली मजा होता है।
दोस्तों,
“मेहनत करना मत छोड़ो। प्रयास जारी रखो।
लड़ते रहो, गिरते रहो और आगे बढ़ते रहो।” -रमेश घोलप (आईएएस)
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