ब्लैक फंगस क्या है? कैसे इससे बचा जा सकता है, आइए जानते है इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य रांची के वरीय दंत चिकित्सक डॉ मनीष गौतम से
डॉ मनीष गौतम रांची झारखंड के वरीय दंत चिकित्सक एवं सामाजिक कार्यकर्ता है जो स्वास्थ्य के प्रति सामाजिक चेतना को बढ़ाने के लिए लगातार योगदान दे रहे हैं। पूरे कोरोना काल में मरीजों की सेवा करते हुए खुद कोरोना संक्रमित हुए और ठीक होने के बाद से लगातार फिर से जनहित में कार्य कर रहे हैं।
पिछले कई दिनों से काफी लोगों ने डॉ मनीष गौतम से ब्लैक फंगस को लेकर अपना डर और भय व्यक्त किया जिसको लेकर उन्होंने यह जानकारी साझा करने का विचार बनाया।
कोरोना संक्रमित एवं कोरोना संक्रमण के बाद ठीक हो रहे मरीजों में ब्लैक फंगस नाम की बीमारी देखी जा रही है जिससे लोगों में भय का माहौल बना हुआ है।
इस बीमारी का कारण म्यूकोर माइकॉस फंगस है जो कि हमारे वातावरण में हमेशा से मौजूद है इसके अलावा यह मिट्टी एवं खाद में पाया जाता है लेकिन इससे संक्रमित होने की संभावना बहुत ही कम होती थी सिर्फ ऐसे मरीज जो लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो एवं प्रतिरोधक क्षमता की कमी होने पर ही इस इंफेक्शन के शिकार होते हैं।
मगर हाल के दिनों में कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर के बाद इसने एक महामारी का रूप ले लिया है। इसका संक्रमण होने के बाद यह काफी तेजी से फैलता है और कई बार इसके इलाज के लिए संक्रमित अंगों को हटाना पड़ता है और समय रहते इलाज न होने से जान जा सकती है। इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली इंजेक्शन लीपोसोमल अंफोटरिसिन बी काफी महंगी है और अभी उसकी काफी किल्लत भी हो रही है।
इसका यह भयावह रूप ही है जिस कारण से इस बीमारी का भय लोगों को अत्यधिक परेशान कर रहा है और कोरोना से ठीक हुए मरीज़ भी इसके भय के साए में जी रहे हैं। इसका मानसिक दुष्प्रभाव भी लोगों में देखने को मिल रहा है।
इसलिए कुछ तथ्य की जानकारी लोगों तक पहुंचना बहुत जरूरी है जैसे कि यह जरूरी नहीं कि हर कोरोना संक्रमित मरीज या फिर ऐसे मरीज जिनको स्टेरॉइड थेरेपी दी गई हो उनके उनको यह हो ही।
विशेषज्ञों का मानना है की पहले से मधुमेह का होना या स्टेरॉइड थेरेपी से अनियंत्रित बढ़ा हुआ शुगर लेवल इस बीमारी का मुख्य कारण है इसीलिए कोरोना संक्रमित मरीजों को संक्रमण के दौरान एवं स्वस्थ हो जाने के बाद भी कम से कम 1 महीने तक अपने शुगर लेवल की मॉनिटरिंग करते रहने की जरूरत है। लंबे समय से मधुमेह से ग्रसित लोगों को या फिर स्टेरॉइड थेरेपी के बाद अनियंत्रित शुगर लेवल होने पर इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है।
इसलिए जरूरी है कि यदि मरीज को पहले से मधुमेह की बीमारी हो या ना हो, कोरोना संक्रमण होते ही उनको अपनी शुगर मॉनिटरिंग करते रहना चाहिए और यदि शुगर बढ़ा हुआ आए तो जल्द से जल्द निकटतम चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी है।
इसके अलावा कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान जिन मरीजों को प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाली दवाइयां दी गई है उनको भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।
अगर किसी मरीज को पहले से मधुमेह या दावा के कारण अनियंत्रित शुगर लेवल या फिर प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाली दवाइयां नहीं मिली है तो उन्हें ब्लैक फंगस से बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है।
मास्क द्वारा ऑक्सीजन और लंबे समय तक आईसीयू में भर्ती होने को भी कारण बताया जा रहा है मगर इसमें कई विशेषज्ञ की राय एक नहीं है।
कुछ लक्षणों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है जैसे कि ऊपर दांतों में अथवा जबड़े में अचानक दर्द होना, चेहरे के एक तरफ सूजन आना, नाक अथवा तालु पर काले धब्बे का निशान पड़ना, आंखों की रोशनी अचानक कम होना, नाक बंद हो जाना अथवा चेहरे के कुछ हिस्से में सूनापन लगना।कई बार स्टेरॉइड थेरेपी भी चेहरे पर सूजन का एक कारण होता है तो इसे भी ध्यान में रखना चाहिए। ऐसे किसी लक्षण आने पर अपने निकटतम ई एन टी अथवा डेंटल सर्जन या आंखों के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
ब्लैक फंगस को लेकर लोग इतने भयभीत हैं कि कई लोगों को नींद अथवा एंग्जाइटी जैसी समस्या आने लगी है जिसका विपरीत प्रभाव उनके प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ रहा है जबकि इस समय जरूरत है अपने प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए रखने की। इसलिए या बेहद जरूरी हो जाता है कि हम सतर्क रहें लेकिन अनावश्यक डर और भय के माहौल में ना रह कर खुशहाल रहें और संतुलित आहार लें जिससे कि हमारी प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।
डॉ मनीष गौतम
बीडीएस एमडीएस
मैक्सिलोफेशियल प्रोस्थोडोंटिस्ट
रांची, झारखंड