रांची की मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि राज्य सरकार अतिक्रमण के नाम पर गरीबों के आशियाना को उजाड़ने का काम कर रही है। गरीबों को नोटिस देकर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। जबकि राज्य सरकार को झारखंड न्यायपालिका अधिनियम-2011 की धारा-442 के तहत नगरपालिका भवन न्यायायिधिकरण का गठन किया जाना है, ताकि नगर आयुक्त द्वारा जिन भवनों को अवैध घोषित किया जा रहा है, वैसे भवन मालिक नगर आयुक्त के निर्णय के विरुद्ध नगरपालिका भवन न्यायाधिकरण में अपील कर सकें। नियमानुसार नगर आयुक्त द्वारा शहरी क्षेत्र में किसी भवन को अवैध घोषित किया जाता है तो संबंधित भवन मालिक नोटिस प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर नगरपालिका भवन न्यायाधिकरण में नगर आयुक्त के निर्णय के विरुद्ध अपील कर सकता है। मेयर ने कहा कि राज्य सरकार को सिर्फ अवैध भवनों के नाम पर किसी के आशियाने पर बुलडोज़र नहीं चलाना चाहिए। उन्हें भी अपना आशियाना बचाने का हक व अधिकार है। चूंकि झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 के तहत राज्य सरकार को ही नगरपालिका भवन न्यायाधिकरण का गठन करना है। परंतु वर्तमान में पीड़ितों को झारखंड नगरपालिका अधिनियम में किए गए इस प्रविधान का लाभ नहीं मिल रहा है।
मेयर डॉ. आशा लकड़ा ने मंगलवार को नगरपालिका भवन न्यायाधिकरण गठन करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख भेजी हैं। पत्र की प्रति नगर विकास विभाग के सचिव को भी भेजी गई हैं ।
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