राज्य के अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के भूमिहीन लोगों को आजीविका चलाने को सरकार वन पट्टा दे- डाॅ.अजय कुमार
कांग्रेस कार्यसमिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य और जमशेदपुर के पूर्व सांसद,आईपीएस डॉ अजय कुमार ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आज पत्र लिखकर राज्य के अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के भूमिहीन लोगों को वन पट्टा देने का अनुरोध किया है।
डाॅ.अजय कुमार ने मुख्यमंत्री को पत्र में कहा कि झारखंड के भौगोलिक क्षेत्र का 33 प्रतिशत से अधिक हिस्सा वन और वृक्षों से आच्छादित हरा भरा है। वनों में सदियों से वनवासी रहते हैं। इनके लिए फॉरेस्ट राइट एक्ट 2006 बना हुआ है। इसके तहत वन में रह रहे या जंगल की जमीन के सहारे अपनी आजीविका अर्जित कर रहे अनुसूचित जनजाति के लोगों को वन पट्टा देने का प्रावधान है। इन्हें वन पर अधिकार भी दिया गया है। लोगों को दो तरह का वन पट्टा मिले व्यक्तिगत वन पट्टा और सामुदायिक वन पट्टा। आगे चलकर इनके लिए चेक डैम, कुआं, पशुपालन आदि में सरकार मदद कर इनके जीवन स्तर को बेहतर करने की व्यवस्था कर सकती है।
डॉ अजय ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि झारखंड भर में अनुसूचित जनजाति के जो लोग वन भूमि पर रह रहे हैं या वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली भूमि से अपनी आजीविका चला रहे हैं या दिसंबर 2005 के पहले से रह रहे हों या वैसे लोग जो अनुसूचित जनजाति के नहीं हों, लेकिन उनकी तीन पीढ़ी करीब 75 वर्षों से वन में रहती आ रही है जिन्हे पंचायत द्वारा मान्यता दी गई हो, सरकार उन्हें आजीविका के लिए ऐसी जमीन उपलब्ध करा सकती है।