पलामू जिले के रामगढ़ प्रखंड में स्थित अस्पताल का भवन तो बड़ा है, लेकिन वो जैसे मरीजों को मुँह चिढ़ा रहे है। यह कहना है पलामू के सामाजिक कार्यकर्ता सन्नी शुक्ला और उनकी टीम का….. आज उनकी टीम ने ग्रामीणों के साथ रामगढ़ स्थित अस्पताल भवन का दौरा किया। कहते हैं नाम बड़े और दर्शन छोटे यही चरितार्थ होती है इस अस्पताल पर, क्योंकि यहां भवन तो बड़ा बना हैं पर सुविधाएं नगण्य हैं।
इस कारण बच्चों और गर्भवती महिलाओं को यहां काफी परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों की स्थिति खराब सड़कों और सुदूर इलाका होने के कारण और बिगड़ जाती है।
ग्रामीणों के साथ बातचीत पर उन्होंने बताया कि “यहाँ के लोग आज भी मेदिनीनगर पर छोटी-छोटी इलाजों के लिए निर्भर हैं, जो यहां से 30 km दूर है। दुर्गम रास्ते और परिवहन की समुचित सुविधा न होने के कारण ये दूरी बहुत ज्यादा नजर आती है। जबकि यहां अस्पताल भवन होने के बावजूद सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। इमरजेंसी में बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं तक झोला छाप डाक्टरो के भरोसे हैं। डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर तो दूर यहां कुत्ते भी झख मारने नहीं आते।”
सुधांशु शेखर ने मुखरता से कहा ” सिर्फ मजबूत इच्छाशक्ति की कमी के वजह से कोविड के दौर में भी करोड़ों की बिल्डिंग भूत बंगला बनी हुई है। इसे हमारी टीम जल्द चालू करवा कर ही रहेगी।”
सन्नी शुक्ला ने मौके पर ही ग्रामीणों से अस्पताल की व्यवस्था बहाल करवाने का वादा किया। साथ ही ग्रामीणों से वक्त आने पर संघर्ष को तैयार रहने को कहा है।
इस मौके पर मिथिलेश राम, सिद्धार्थ प्रियदर्शी, अमित पांडेय, जिब्राइल अंसारी, राहुल कुमार चन्द्रवँशी भी उपस्थित थे।
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