झारखंड की हेमंत सरकार ने चुनाव पूर्व वादा किया था कि उनकी सरकार बनी तो युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार दी जाएगी, पर डेढ़ वर्ष से ज्यादा बीत जाने के बावजूद अब तक कोई भी नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू नही हो सकी है। जिस पर राज्य के युवा उद्वेलित है और गत 21 जून से ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर ‘झारखंडी युवा मांगे रोजगार अभियान’ चला रहे। वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया था पर इस पर ठोस कुछ नही हो रहा जिस कारण युवा 21 जून से 3 जुलाई तक नियुक्ति वर्ष का अंतिम संस्कार मना रहें। इस मुहिम को राज्य की विपक्षी दल भाजपा का भी पूर्ण सहयोग मिल रहा, हर एक छोटे-बड़े भाजपा नेता इस मुद्दे पर राज्य सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे। कोई नियुक्ति वर्ष को रिक्ति वर्ष बोल रहा, तो कोई सिर्फ सत्ता में आने के लिए उसे एक जुमला करार कर रहा। दो दिनों से लगातार तरह तरह के बयान और कटाक्ष ट्विटर पर आ रहे।
आज झामुमो के महासचिव और गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार ने इस मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी है और भाजपा को अवसरवादी राजनीति करने वाला दल बताया है, साथ ही उन्होंने साफ किया कि रोजगार देने के मामले पर राज्य सरकार काम कर रही, पर अपनी लाचारी भी बताई है। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार को अभी मात्र 18 महीने हुए है जिसमे से 11 महीने तो कोरोना से जूझते हुए ही निकल गए है। नियुक्ति वर्ष कोई जुमला नही है, हमारी सरकार की शपथ है। आइए जानते है उन्होंने क्या कहा है;
सत्ताधारी दल के विधायक और संगठन के अगुआ साथी की हैसियत से मैं इस संवादहीनता को तोडना चाहता हूँ , इस ईमानदार कथन के पुरे थ्रेड को पढ़ कर ही अपनी राय बनाएं यह मेरा आपसे आग्रह है। झारखण्डी भूमि पुत्र यदि अपनी सरकार से सवाल नहीं करेंगे तो किससे करेंगे ?
लोकतन्त्र में नागरिकों के अधिकार संरक्षित रहें ,नागरिक की भावनाओं के प्रति सरकार संवेदनशील रहे यह झामुमो की सर्वोच्च प्राथमिकता है। परन्तु आपके सारे जायज सवालों के लिए पूर्ण समर्थन के साथ धरातल की कुछ जमीनी हक़ीक़त की और भी मै अपने नौजवान साथियों का ध्यान आकृष्ट करनाचाहता हूँ। 29 दिसम्बर 2019 को हेमन्त सरकार ने शपथ ली,मार्च 2020 से कोविड -19 के कहर ने देश दुनिया के साथ-साथ झारखण्ड को भी पूर्णतया ठप कर दिया। नवम्बर 2020 से परिस्थितियां सामान्य होनी शुरू हुई, पुनः दूसरी लहर के कारण अप्रैल 2021 से कोरोना के कहर से अब तक सामान्य गतिविधियां संचालित नहीं हो पा रही हैं। यानि कुल 18 महीने पुरानी इस सरकार के 11 महीने कोविड-19 की भेंट चढ़ गए और दो चरणों में सात महीने ही सरकार को सामान्य कामकाज के मिले।पिछली सरकारों की गलत नियुक्ति नियमावली को सुधारे बिना यदि नियुक्ति की जाती तो झारखण्डी भूमिपुत्रों के साथ यह अन्याय ही होता । पूर्व के प्रावधान ऐसे थे, कि लगता है इन्होंने दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों के लिए खास सोच के साथ नियमावली उन्हें फायदा पहुँचाने के लिए बनाई हो। झारखंडी भाषा भाषियों के ज्ञान को कोई अंक नहीं, कोई जगह नहीं। बाबा साहेब के द्वारा संविधान में किये गए प्रावधानों के तहत SC/ST वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर तो सिर्फ झारखंडी ही आ सकते थे परंतु, झारखंड में पिछड़े वर्ग के लोग भी हैं, सामान्य वर्ग के लोग भी हैं, और पुरवर्ती सरकारों ने इन पदों पर दूसरे राज्य के लोगों के लिए रास्ता बना रखा था।गलत आरक्षण नीति, अस्वीकार्य स्थानीयता नीति , आखिर इन सभी कारनामों में सुधार तो होना ही चाहिये। बहाली होगी और प्रयास है कि यथासंभव सिर्फ झारखंडियों की बहाली हो। हम सिर्फ बहाली के लिए कदम नहीं बढ़ा रहे , हम झारखंडियों की बहाली के लिए काम कर रहे हैं। और इसी दौर में सबने भाजपा झारखंड के रूप में अवसरवादी राजनीति का कुरूप चेहरा देखा झारखण्डी युवाओं के निर्दोष विरोध को अपने राजनैतिक हित में इस्तेमाल करने के कुत्सित प्रयास देखे। हर वर्ष दो करोड़ नौकरियों का वादा कर के सत्ता में आयी #मोदी_सरकार से प्रश्न करने का साहस बाबूलाल कभी जुटा नहीं पाए।झारखण्डी युवाओं आपने सत्ता परिवर्तन किया है आपको पूर्ण अधिकार है कि आप चाबुक फटकार कर सरकार तक अपने आक्रोश को अभिव्यक्त करें परन्तु आपसे विनम्र आग्रह है कि आप इन अवसरवादी नेताओं से भी सचेत रहें।मा० मु०म० हेमंत सोरेन ने 2021 को नियुक्तियों का वर्ष घोषित किया है अभी छह माह शेष हैं आप अधीर न हों यह ‘जुमला’ नही, हमारी शपथ है।
सकारात्मक सहयोग कि अपेक्षा में आपका भाई ।
झामुमो विधायक ने इस तरह साफ कर दिया है कि बहाली तो जरूर होगी और कुछ नए रूप में होगी जहां झारखंडीयो का विशेष ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अभी समय है 2021 को जाने में अतः अवसरवादी नेताओ के चक्कर में न पड़े।
अब देखिए जल जंगल जमीन की यह सरकार युवाओं को अपने किए वादे को निभाती है या उन्हे करना होगा अब भी इंतजार क्योंकि उनके सामने पारा शिक्षक, जेपीएससी,सहित अन्य मुद्दे भी सामने खड़े है और पंचायत चुनाव भी जल्द करवाने की जरूरत है।
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