✍️ सराफ अली
कश्मीर के योगदान का उल्लेख किए बिना भारतीय दर्शन का इतिहास लिखना असंभव है। यहां विभिन्न संस्कृतियों को एकता में देखा जाता है।
उक्त बातें जम्मू-कश्मीर के चार दिवसीय दौरे पर आए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कश्मीर विश्वविद्यालय के 19वें दीक्षांत समारोह में कही। उन्होंने प्रसिद्ध कवयित्री लल्लेश्वरी का जिक्र करते हुए कहा कि आप देख सकते हैं कि कैसे कश्मीर सांप्रदायिक सौहार्द और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का खाका पेश करता है।
“ऋग्वेद की सबसे पुरानी पांडुलिपियों में से एक कश्मीर में लिखी गई थी। यह दर्शन के समृद्ध होने के लिए सबसे अनुकूल क्षेत्र है”, उन्होंने कहा।
राष्ट्रपति ने कश्मीर के युवाओं से उनकी समृद्ध विरासत से सीखने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि युवाओं को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव पर विचार करना चाहिए जिसने पूरे भारत में अपनी छाप छोड़ी है।
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