रोजगार के बड़े वादे कर के आई हेमंत सरकार दो वर्ष होने को है और अब अब तक इसके प्रति कोई ठोस कदम उठा पाई है। वहीं विभिन्न परीक्षाओं को देकर बैठे छात्र-छात्राएं नौकरी के लिए हाथ पैर मार रहे। पारा शिक्षक पहले ही सरकार से क्षुब्ध है, वहीं छठी जेपीएससी के मेरिट लिस्ट को हाई कोर्ट द्वारा निरस्त करने के बाद अलग दुविधा में सरकार आन पड़ी है। इसी बीच आज राज्य के बेरोजगार युवाओं ने अपनी बातों को राज्य सरकार तक पहुंचाने के लिए ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर “झारखंडी युवा मांगे रोजगार” की मुहिम छेड़ दी। जिसमे उन्हे विपक्षी दल भाजपा का भी भरपूर साथ मिला। आज सुबह से ही युवाओं के साथ भाजयुमो नेताओ सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा। झारखंड भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी ने एक तीर से दो निशाना आज लगाया, उन्होंने मुख्यमंत्री के दिल्ली जाने और कांग्रेस आलाकमान से बिना मिले लौटने तथा नौकरी के वादे दोनो को लेकर तंज किया, उन्होंने लिखा कि
नौकरी के वादे कर सत्ता में आयी झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से युवाओं की उम्मीदें टूट रही हैं।
लेकिन सुना है कि यह सरकार अपनी ही नौकरी बचाने के लिए दिल्ली दौड़ लगा रही।
इन्हें अपनी कुर्सी की फिक्र है, युवाओं के जीवन की नहीं। #वादा पूरा करें हेमंत जी
#jharkhandi_yuva_mange_rojgar
एक और ट्वीट में बाबूलाल मरांडी जी ने लिखा की… झामुमो घोषणा पत्र में 1 साल में 500000 रोजगार देने का वादा की 2021 को नियुक्ति वर्ष बताया पर वोट देने वाला युवा ठगा गया। सत्ता के दलाल बालू, पत्थर, शराब, बीड़ी पत्ता से अपने जेब में भरना चाहते हैं। नौकरी की आस में युवा निराश- हताश हो रहे हैं।
इस ट्वीट पर झामुमो के केंद्रीय महासचिव और गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार ने बाबूलाल मरांडी पर पलटवार किया और मोदी सरकार के वादे को याद दिलाते हुए उनको जवाब दिया कि
हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा कर के सत्ता में आई मोदी सरकार के सात वर्षों की चौदह करोड़ नौकरियां कहाँ हैं आदरणीय बाबूलाल जी ? झारखंड की जनता ने हेमंत सोरेन जी को सेवक के रूप में चुना है और वे आपकी तरह “दिल्ली” के रहमोकरम पर नहीं हैं !
वहीं झामुमो ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी, और तगड़ा जवाब दिया, कहा:
भाजपा के 7 साल के हिसाब से – 2 * 7 = 14 करोड़ नौकरियाँ कहाँ हैं महोदय ?
केंद्र सरकार ने 14 करोड़ नौकरियाँ तो दूर, 1400 नौकरियाँ नहीं दे पायी है।
आज जिस तरह राजनीतिक और व्यक्तिगत रूप से हेमंत सरकार को घेरने का प्रयास भाजपा ने की, ठीक उसी प्रकार से झामुमो ने जवाब से शांत भी किया। देखा जाए तो दोनो सरकारें, केंद्र और राज्य रोजगार के बड़े बड़े वादे युवाओं को रिझाने के लिए किए पर सत्ता में आने के बाद दोनो ही अपने घोषणा पत्र के वादों को भूल गई है। आशा है युवाओं के द्वारा सरकार को नींद से जगाने की चलाई गई मुहिम कुछ काम करे और राज्य में नियुक्तियां शुरू हो।
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