नई उत्पाद नीति और बार लाइसेंस शुल्क में अप्रत्याशित बढ़ोतरी की सुगबुगाहट को लेकर झारखंड बार एवं रेस्त्रां संघ हुआ रेस, 21 फरवरी को करेगी प्रेस वार्ता

राज्य में बार संचालन करने वालो के लिए आगामी वित्तीय वर्ष (2022-23) काफी दुखदाई होने वाला है, जैसा कि ज्ञात हुआ है राज्य सरकार नई उत्पाद नीति लागू करने वाली है जिसमें छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों की उत्पाद नीति का अध्ययन करके उसी प्रारूप में झारखंड में भी उत्पाद नीति लागू होगी। इसके लिए मसौदा तैयार कर दिया गया है। करीब 200 पन्नों की यह रिपोर्ट भेजी जा चुकी है जिस पर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। अगर इस अध्ययन को माने और इसके अनुसार चलें तो एक बार फिर से राज्य के सभी खुदरा शराब दुकान सरकारी रूप से चलेंगे अर्थात आम लोगों को चलाने के लिए दुकाने नहीं मिलेंगी। थोक शराब बिक्री भी एक बार पुनः से जेएसबीसीएल के पास होगी। वही सरकारी शराब दुकानों पर कर्मचारी भी सरकार के द्वारा अनुबंध पर रखे जाएंगे।
दूसरी ओर बार व्यवसाय की बात करें तो इस बार जनसंख्या के आधार पर बार अनुज्ञप्ति शुल्क (वार्षिक लाइसेंस शुल्क) लगाने की सिफारिश की गई है। अगर जनसंख्या किसी शहर की 1 लाख है तो उसकी अनुज्ञप्ति शुल्क कुछ और होगी और किसी जिले की जनसंख्या 300000 से अधिक है तो वहां के बार अनुज्ञप्ति शुल्क कुछ और ही होगी। रिपोर्ट की मानें तो तीन लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले जिले/शहर में बार लाइसेंस शुल्क जो वर्तमान में 9 लाख वार्षिक है, उसे 24 लाख प्रति वर्ष से करने की सिफारिश की गई है। वहीं मॉल में स्थित बार के लिए शुल्क थोड़ी और अधिक ही होगी।
इसके अलावा बार व्यवसायियों को हर महीने शराब के उठाव का कोटा भी बांधने की सिफारिश की गई है।
जबकि पिछले 3 वर्षों की बात करें तो कोरोना के कारण यह उद्योग हमारे राज्य में बिल्कुल खस्ताहाल में है, कोरोना के तीनों लहरों में बार करीब डेढ़ साल से ज्यादा बंद रहे हैं, वही खुलने के बाद भी यहां दर्जनों तरह की पाबंदियां रही हैं जिससे लोगो का आगमन कम रहा और संचालक किसी प्रकार व्यवसाय चला अपने और अपने कर्मचारियों के घरों को चलाते रहे और चलाते आ रहे।
रांची के एक बार व्यवसाई जो युवा उद्यमी है और उन्होंने अपने मित्र के साथ कुछ वर्ष पहले ही इस व्यवसाय की शुरुआत की, उन्होंने इस खबर पर पूछने पर बताया कि यह तो पूरी तरह से व्यवसायियों को मारने की तैयारी है। सिर्फ राजस्व को न देखे सरकार, बल्कि इससे लोगो को मिल रहे रोजगार को भी देखे। एक बार रेस्त्रां खुलता या चलता है तो सैकड़ों लोगों को रोजगार और आमदनी होती है। वो चाहे कर्मचारी हो, दूध वाला हो, पनीर, मटन, चिकन, सब्जी, गैस या रिक्शा या टेंपो वाला, हर कोई कही न कही जुड़ा है और लाभान्वित होता है। आप खुदरा व्यापार के बढ़ोतरी और उससे राजस्व की बात करते हैं तो समझ में आता है पर बार व्यवसाय तो पहले ही मरा है यहां, उसे मत मारिए अब।
झारखंड बार एवम रेस्त्रां संघ के अध्यक्ष रंजन कुमार से जब इस विषय में बात की गई तो उन्होंने बताया कि कमर टूट चुकी बार व्यवसाय को अब गला काटने की तैयारी है। 9 लाख से 24 या 30 लाख लाइसेंस शुल्क करने की तैयारी पूरी तरह से गलत फैसला है। एक ओर उद्यमी को बढ़ावा दिया जा रहा, व्यापार के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा वहीं दूसरी ओर हमारी सरकार रोजगार धंधे को बंद करने की तैयारी में है।

उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की ओर से नियुक्त परामर्शी छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड ने झारखंड राज्य सरकार को उत्पाद राजस्व संवर्द्धन के विषय पर कई सुझाव उपलब्ध कराये हैं। मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग मंत्री जगरनाथ महतो की मानें तो तो अभी छत्तीसगढ़ की कंसल्टेंसी को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है, फिलहाल अधिकारियों को समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं।
लेकिन सरकार की इस कवायद से बार संचालकों की हालत खराब है, अगर यह सुझाव राज्य सरकार अमल में लाती है तो राज्य के 80% से ज्यादा बार बंद होने के कगार पर होंगे।

इस मुद्दे पर गुरुवार को झारखंड बार एवं रेस्त्रां संघ ने आपातकालीन बैठक की, जिसमे उन्होंने आगामी 21 फरवरी को प्रेस वार्ता रखी है जिसमे वो नई नीति और लाइसेंस शुल्क बढ़ाने से होने वाले दुष्परिणामों को सरकार तक प्रेषित करेंगे और विरोध दर्ज करवाने के लिए रणनीति की घोषणा करेंगे।

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