GURU PURNIMA SPECIAL : गुरु पूर्णिमा भारत के महान गुरुओं के प्रति मधुरतम श्रद्धांजलि है।

गुरु पूर्णिमा श्रद्धांजलि का एक अद्वितीय दिवस है

अनेक अद्वितीय पक्ष भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। अधिकांश अन्य सभ्यताएँ इन पक्षों से पूर्ण रूप से अपरिचित हैं। ये पक्ष स्पष्ट रूप से हमारी विरासत की उत्पत्ति के पीछे छिपे विचार की वास्तविक गहनता के द्योतक हैं।

गुरु-शिष्य सम्बंध हमारे जीवन का एक ऐसा ही पक्ष है जो हमारे पारम्परिक मूल्यों का एक अंग रहा है। प्राचीन काल से ही भारतीय समाज ने गुरु को सर्वोच्च स्थान प्रदान किया है क्योंकि गुरु के समतुल्य और कोई नहीं है। जैसा कि संत कबीर ने कहा है, “गुरु की महानता का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है और शिष्य अत्यंत सौभाग्यशाली होता है…”

इसी प्रकार, श्री श्री परमहंस योगानन्द की शिष्या और योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस)/सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप (एसआरएफ़) की पूर्व अध्यक्ष, श्री मृणालिनी माता, ने अपनी पुस्तक, “गुरु-शिष्य सम्बन्ध” में अत्यंत शक्तिशाली ढंग से इस तथ्य को प्रस्तुत किया है कि कोई भी अन्य शक्ति गुरु की भाँति अपने शिष्य के जीवन को रूपांतरित नहीं कर सकती । गुरु के पास वह साधन और आंतरिक शक्ति होती है जो शिष्य को हर तरह से स्वयं (गुरु) की एक पूर्ण प्रतिकृति में बदल सके।

आधुनिक संसार में किसी लोकप्रिय शिक्षक का अनुसरण करना सरल है, किन्तु योगानन्दजी ने परामर्श दिया है कि हमें अपने गुरु का चयन करने में सावधानी बरतनी चाहिए, “जब आप अपनी आँखें बन्द कर जीवन की घाटी में आगे बढ़ते जाते हैं और अन्धकार में ठोकरें खाते हैं, तो आपको किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता होती है जिसके पास दृष्टि हो।…यह जानने के लिए कि कोई मार्ग सच्चा है अथवा नहीं है, उसकी पहचान इस आधार पर की जानी चाहिए कि उस मार्ग के पीछे किस प्रकार का शिक्षक है, क्या उसके कार्यों से यह प्रकट होता है कि ईश्वर उसका मार्गदर्शन कर रहे हैं, या उसके कार्य उसके अहंकार के द्वारा निर्देशित होते हैं। जिस मार्गदर्शक ने ईश्वर का साक्षात्कार नहीं किया है, वह आपको ईश्वर के साम्राज्य के दर्शन नहीं करा सकता, चाहे उसका अनुसरण करने वालों की संख्या कितनी भी अधिक क्यों न हों।”

अनेक शताब्दियों से हिमालय में निवास करने वाले सुप्रसिद्ध अमर गुरु, महावतार बाबाजी ने अपने एक महान् शिष्य लाहिड़ी महाशय को सन् 1861 में क्रियायोग के विलुप्त हो चुके विज्ञान में दीक्षा प्रदान की। तत्पश्चात्, लाहिड़ी महाशय के शिष्य, स्वामी श्रीयुक्तेश्वर गिरि ने लाखों लोगों को इस मुक्ति प्रदान करने वाली वैज्ञानिक प्रविधि की दीक्षा प्रदान करने के लिए योगानन्दजी को प्रशिक्षित और तैयार करने का दायित्व निभाया। इस कार्य की पूर्ति हेतु योगानन्दजी ने वाईएसएस/एसआरएफ़ संस्थाओं की स्थापना की, वर्तमान में जिनका विस्तार लगभग 175 देशों में हो चुका है। जिस के परिणामस्वरूप आज और भी बड़ी संख्या में लोग क्रियायोग से लाभान्वित हो रहे हैं।

योगानन्दजी ने अपनी विश्व-प्रसिद्ध और जीवन को परिवर्तित करने वाली आध्यात्मिक गौरवग्रंथ “योगी कथामृत,” में अत्यंत प्रेमपूर्वक और परिश्रमपूर्वक गुरु-शिष्य सम्बंध का वर्णन किया है।

श्रीयुक्तेश्वरजी की देख-रेख में उनके मार्गदर्शन और कुशल प्रशिक्षण के परिणामस्वरूप योगानन्दजी ईश्वर एवं अपने गुरु के साथ आध्यात्मिक समस्वरता के एक सच्चे अनुकरणीय आदर्श बने। इस प्रकार योग-ध्यान और सन्तुलित जीवन की कालातीत सार्वभौमिक शिक्षाओं के माध्यम से योगानन्दजी ने अपने जीवनकाल में हज़ारों लोगों के लिए और अन्ततः लाखों लोगों के लिए आध्यात्मिक मित्र, मार्गदर्शक, और दार्शनिक की भूमिका निभायी।

योगानन्दजी ने सत्य की खोज करने वाले साधकों को गहनतर बोध प्रदान करने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता और बाइबिल जैसे महान् शास्त्रों की भी व्याख्या की। उनके अन्य प्रकाशन और विशेष रूप से आदर्श-जीवन शिक्षाएँ और घर बैठ कर अध्ययन करने के उद्देश्य से तैयार की गयी पाठमाला उनकी शिक्षाओं के अमूल्य संदेशवाहक हैं।

गुरु पूर्णिमा भारत के महान् गुरुओं के प्रति मधुरतम श्रद्धांजलि है। इस अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस पर गुरु के आदर्शों के प्रति पुनर्समर्पण के द्वारा, दृढ़संकल्प शिष्य आत्म-साक्षात्कार की सीढ़ी के अगले सोपान की ओर अपना कदम बढ़ाता है। अधिक जानकारी: www.yssofindia.org

लेखक : विवेक अत्रे

Jharkhand Aaj Kal

Share
Published by
Jharkhand Aaj Kal

Recent Posts

क्रियायोग की सरिता में डुबकी लगाने के लिए प्रोत्साहन (श्री श्री लाहिड़ी महाशय की 196वीं जयंती पर विशेष)

“पौराणिक कथाओं में जिस प्रकार गंगा ने स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरकर अपने तृषातुर भक्त…

2 months ago

बजट पर किया कटाक्ष, तो पूर्व भाजपा नेता कुणाल षाड़ंगी को लोग कहने लगे भला बुरा, फिर कुणाल ने दिया करारा जवाब

आज केंद्रीय बजट को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया। जिसमें मिडिल क्लास को…

4 months ago

एक ज्ञानावतार का हृदय(श्री श्री स्वामी श्रीयुक्तेश्वर गिरि जी का 169वां आविर्भाव दिवस)

“मैं तुम्हें अपना अशर्त प्रेम प्रदान करता हूँ,” अपने निर्मल प्रेम के इस शाश्वत वचन…

7 months ago

ढुलू महतो अब लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, धनबाद से बने भाजपा के उम्मीदवार

बाघमारा के भाजपा विधायक, कोयलांचल के युवाओं के चहेते, गरीबों की आवाज के नाम से…

8 months ago

दो महान् सन्तों श्री श्री परमहंस योगानन्द और स्वामी श्री युक्तेश्वरजी के महासमाधि दिवस पर विशेष

सहस्राब्दियों से भारतवर्ष की पवित्र भूमि को अनेक महान् दिव्य आत्माओं के चरणों के स्पर्श…

9 months ago