शिक्षक स्थानांतरण नियमावली संशोधन से शिक्षकों को काफी उम्मीद, 19 जुलाई को रांची में विभागीय कमेटी की बैठक
✍️ शेखर सुमन, देवघर
देवघर / गृह जिला स्थानांतरण को लेकर सरकार द्वारा किए जा रहे पहल से शिक्षकों में उत्साह का संचार हुआ है। उक्त बातें गृह जिला स्थानांतरण शिक्षक संघ के प्रदेश प्रभारी दिलीप कुमार राय ने कही। उन्होंने कहा कि शिक्षक स्थानांतरण नियमावली 2019 में संशोधन के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठन होने के बाद अब शिक्षा विभाग ने इस नियमावली के तहत स्थानांतरण की प्रक्रिया पायलट प्रोजेक्ट के तहत चतरा जिले से शुरू करने जा रही है। पूरी प्रक्रिया पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन की जाएगी। वर्तमान नियमावली के तहत अगर पति पत्नी दोनों झारखंड में सरकारी सेवा में हो अथवा असाध्य रोग से पीड़ित शिक्षक-शिक्षिकाओं को ही अंतर जिला स्थानांतरण का मौका मिलेगा। शेष अन्य शिक्षक अंतर जिला स्थानांतरण के पात्र नहीं होंगे।
हम शिक्षक लगातार सरकार से निवेदन कर रहे हैं कि नियमावली में ऐसा प्रावधान जोड़ा जाए ताकि गृह जिला स्थानांतरण चाहने वाले सभी शिक्षकों को गृह जिले में स्थानांतरण का एक मौका जरूर मिले। नियुक्ति के समय गृह जिला स्थानांतरण का प्रावधान था जिसे 2019 नियमावली में संशोधन कर हटा दिया गया।
अगर नियुक्ति के समय अंतर जिला तबादले का प्रावधान नहीं रहता तो हम सभी अपने जिले में काउंसलिंग का इंतजार करते और हम सभी कि नियुक्ति अपने जिले में ही होती क्योंकि दूसरे जिलों में काउंसलिंग कराने के बाद भी हम सभी का नाम अपने अपने जिले में भी जारी किया गया था। लेकिन दूसरे जिलों में काउंसलिंग कराने वालों का सर्टिफिकेट जब्त कर लिया गया।
हमारे शिक्षकों ने इस उम्मीद से पांच साल काम किया कि अब अपने जिले में स्थानांतरण हो जाएगा।
राय ने कहा कि आज सभी जिलों में शिक्षकों का पद रिक्त है, अगर सामूहिक गृह जिला स्थानांतरण किया जाता है तो भी किसी जिले में स्वीकृत पद से कम ही शिक्षक जिले में जाएंगे। एक मात्र समस्या आ सकती है कि किसी जिले में वर्तमान समय में कार्यरत शिक्षकों की संख्या में कमी हो सकती है। सरकार नई नियुक्ति करने को लेकर गंभीर है ऐसी स्थिति में आसानी से उस कमी को पूरा किया जा सकता है।
साथ ही शिक्षकों में इस बात को लेकर संशय है कि जब आज तक गृह जिला स्थानांतरण का कार्य रुका हुआ था और 19 जुलाई को 2019 नियमावली पर विचार विमर्श के लिए बैठक निर्धारित थी तो बैठक के बाद ही पोर्टल लॉन्च किया जाना उचित होता।
मुख्यमंत्री एवं विभागीय अधिकारियों से निवेदन होगा कि नियमावली में ऐसा प्रावधान किया जाए कि सभी गृह जिला स्थानांतरण चाहने वाले शिक्षकों को आवेदन करने का मौका मिले एवं गृह जिले में स्थानांतरित हो सके।ऐसा करने से प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिलेगा साथ ही सरकार पर किसी तरह का वित्तीय बोझ भी नहीं आएगा। एक तरह से सरकार का यह कदम प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने का शुन्य निवेश नवाचार साबित होगा और शिक्षक में नई ऊर्जा का संचार होगा। झारखंड के बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा मिल पाएगी जैसा कि नई शिक्षा निति 2020 में प्रावधान किया गया है।
झारखंड में यह पहला मौका होगा जब सरकार शिक्षकों की मांगों को निवेदन के कारण पूरी करने जा रही है । आज तक देखा गया है कि अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार आंदोलन करने के बाद सरकार कदम उठाती थी लेकिन पहली बार सरकार शिक्षकों के निवेदन पर यह कदम उठा रही है। शिक्षकों के सेवा पुस्तिका में दर्ज गृह जिले में एक बार सामूहिक स्थानांतरण का मौका मिलना चाहिए।