डेंटल इंप्लांट ही कृत्रिम दांत लगवाने का सबसे बेहतर विकल्प : डॉ मनीष गौतम

हमारे देश सहित पूरे विश्व में दांतो की समस्या व बीमारी आम है। इससे करोड़ों लोग पीड़ित है, कोई दांत सड़ने के कारण तो कोई अन्य कारणो से। पहले दांतो को निकालने पर ज्यादा जोर दिया जाता था पर अब उसे बचाने पर, इसलिए पिछले कुछ दशकों में डेंटल इंप्लांट का प्रचलन काफी बढ़ा है। आइए आज जानते है की आखिर ये डेंटल इंप्लांट होता क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या क्या है ?

डॉ मनीष गौतम, रांची के एक सीनियर प्रोस्थोडोंटिस्ट एंड इंप्लांटोलॉजिस्ट हैं और डेंटिका डेंटल क्लिनिक एंड इंप्लांट सेंटर के संस्थापक हैं।
इससे पहले एक साल अवध डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल जमशेदपुर के इंप्लेंटोलॉजी विभाग में सहायक प्राध्यापक और रिम्स रांची के प्रोस्थोडिंटिक एवम इंप्लेंटोलॉजी विभाग में वरीय रेजिडेंट के रूप में 5 सालों तक सेवा दे चुके हैं।

डॉ माधवी सिंह,सीनियर पेरियोडोंटिस्ट एंड इंप्लांटोलॉजिस्ट हैं और डेंटिका रांची की सह संचालिका के रूप में सेवा दे रही हैं।
इससे पहले वह सह प्राध्यापक के रूप में पेरियोडॉन्टिक एंड इंप्लेंटोलॉजी विभाग,अवध डेंटल कॉलेज,जमशेदपुर में सेवा देते हुए डेंटल पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट की गाइड के रूप में उनको इंप्लांट्स की ट्रेनिंग देने का कार्य किया है।

डेंटल इंप्लांट के जागरूकता के लिए डेंटिका, रांची के द्वारा निरंतर सेमिनार और कैंप का आयोजन होता रहा है लेकिन अभी भी बहुत से लोग इस इलाज़ की सही जानकारी के अभाव में सही विकल्प से अंजान रहते हैं।

जब बात आपके टूटे हुए दांत या कृत्रिम दांत लगवाने की बात आती है तो डेंटल इंप्लांट्स एक महत्वपूर्ण समाधान हो सकता हैं| आपको डेंटल इंप्लांट्स के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। ज्यादा नहीं तो कम से कम इतना जरूर मालूम होना चाहिए कि डेंटल इम्प्लांट्स के कुछ अल्पकालिक और दीर्घकालिक लाभ होते हैं। इससे मरीज को सभी प्रकार के दंत स्वास्थ्य समस्याओं से संबंधित उत्तम समाधान प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है। इसके और अधिक फायदे देखने से पहले, आइए डेंटल इंप्लांट्स के बारे में अधिक जानते हैं।

डेंटल इंप्लांट्स क्या है?

डेंटल इम्प्लांट (दंत प्रत्यारोपण) में, जहां पर दांत नहीं है वहाँ उसकी जड़ की जगह पर एक इंप्लांट से बदल दिया जाता है जो की टाइटेनियम धातु के स्क्रूनुमा के आकार का बना होता है। यह उचित स्थान पर सुरक्षित रूप से फिक्स किया जाता है। टाइटेनियम धातु की विशेषता है की वह कुछ समय में हड्डी से पूरी जुड़ कर हड्डी का हिस्सा बन जाता है।


क्या सभी को डेंटल इम्प्लांट मिल सकता है?

डेंटल इंप्लांट्स जैसे उपचार कोई भी करवा सकता है| दांतों के नुकसान से निपटने के लिए कई तकनीक उपलब्ध हैं। डेंटल इंप्लांट्स के बाद उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए, डेंटल इंप्लांट्स से संबंधित कुछ बातों पर विचार करना आवश्यक हो जाता है । नीचे दिए गए

निम्नलिखित मामलों पर विचार किया जाता है:

1. यदि बच्चा है तो अधिकांश 18 वर्ष की आयु तक प्रतीक्षा करने की सलाह देते हैं उसके बाद आप उसके ऊपर उपचार कर सकते हैं

2. मधुमेह, कमजोरी और कुछ अन्य चीजों जैसे गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों के मामले में, डेंटिस्ट आपको उचित दवाइयां और सलाह देते हैं ।

डेंटल इम्प्लांट निम्नलिखित तरीकों से फायदेमंद हो सकते हैं:

१. यह लगभग प्राकृतिक दांतों की तरह होता है डेंटल इम्प्लांट प्राकृतिक दांत की तरह ही कार्य करता है। इसकी सभी देखभाल प्राकृतिक दांतों की तरह ही करनी चाहिए। आपको फ्लॉस करना चाहिए और प्रतिदिन ठीक से ब्रश करना चाहिए। आप इसका जितना ज्यादा अच्छा ख्याल रखेंगे आपके दांत अच्छे रहेंगे| डेंटल इम्प्लांट्स में, रूट कैनाल या फिलिंग की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

२. डेंटल इंप्लांट्स का स्थायित्व अद्भुत है और इसकी सफलता का दर 95% से अधिक है। इसलिए बहुत से लोग यह इलाज करवाते है| डेंटल इम्प्लांट करने के बाद समय के साथ साथ, वे आपके जबड़े की हड्डी का हिस्सा बन जाते हैं। नियमित रूप से जांच और अच्छी मौखिक स्वच्छता बनाए रखने से प्रत्यारोपण के लंबे समय तक चलने की संभावना सुनिश्चित हो सकती है।

३. प्रभावी लागत डेंटल इंप्लांट्स बहुत खर्चीला उपचार नहीं होता है क्योंकि इसके दूर गामी परिणाम और इलाजों से कम खर्चीला होता है। हालांकि, समग्र तस्वीर को देखते हुए डेंटल इंप्लांट्स में केवल एक बार की लागत होगी जो बहुत लंबी अवधि तक चलेगी। जबकि, अन्य दंत चिकित्सा उपचारों के लिए नियमित अंतराल पर चेक-अप और इसके संबंध में लागत की आवश्यकता होती है ।

४. यह दैनिक खाने के पैटर्न को प्रभावित नहीं करेगा आपका दंत प्रत्यारोपण विभिन्न खाद्य पदार्थों को खाते समय कोई समस्या पैदा नहीं करेगा। डेंटल इंप्लांट्स आपके बोलने, खाने और मुस्कुराने को उतना ही सामान्य बना सकते हैं जितना आप प्राकृतिक दांतों के साथ कर सकते हैं।

५. हड्डी के नुकसान को इंप्लांट द्वारा रोका जा सकता है क्योंकि अगर दांत निकल जाने के बाद दांत को जल्दी से नहीं बदला जाता है, तो हड्डी के नुकसान और उसके समय के साथ गल जाने की संभावना होती है। डेंटल इम्प्लांट्स जबड़े की हड्डी को खुद के पुनर्निर्माण और स्वस्थ रखते हुए गलने से रोकता है । दांत की हड्डियां अपने मसूड़ों और जबड़े को मजबूत रखती हैं इसलिए अपनी दांत की हड्डियां समय पर इंप्लांट करवाकर नुकसान होने से रोकना चाहिए।

६. डेंटल इंप्लांट ट्रीटमेंट में अन्य दांतों का स्वास्थ्य प्रभावित नहीं होता है। दंत प्रत्यारोपण किसी भी तरह से आस-पास के दांतों के स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है। तो, दंत प्रत्यारोपण का उपचार एक सुरक्षित तरीका है।

७. अच्छी हड्डी होने पर डेंटल इंप्लांट्स के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है| यदि आपका कोई दांत टूट गया है, या किसी वजह से निकल दिया गया है, तो ज्यादा समय तक बिना इलाज के उस जगह को खाली छोड़ देने पर जबड़े की हड्डी गलने लगती है और आस पास के दांतों में भी मूवमेंट शुरू हो सकता है। इसलिए निकले हुए दांतों के जगह पर कृत्रिम दांत लगवाना समय रहते किया जाना चाहिए।

क्या डेंटल इंप्लांट्स के अलावा कोई विकल्प हैं?

डेंटल इंप्लांट्स के तीन प्रमुख विकल्प है जो आपकी सहायता कर सकते हैं। इन तीन विकल्पों में रिमूवेबल पार्शियल डेन्चर, रेजिन-बॉन्ड फिक्स ब्रिज और एक साधारण फिक्स ब्रिज शामिल हैं। हालांकि, इन विकल्पों में से, डेंटल इंप्लांट्स सबसे बेहतर विकल्प है क्योंकि यह बिना किसी अन्य दांतो के सपोर्ट लिए बिना फिक्स दांत लगाने का विकल्प है।

एक इंप्लांट स्पेशलिस्ट डेंटिस्ट आपको समस्या की गंभीरता के अनुसार आपको बेहतर मार्गदर्शन दे सकते हैं और आपको उपचार का विकल्प प्रदान कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण सार:

दांत नहीं होने की समस्या के इलाज के लिए डेंटल इम्प्लांट एक बेहतर विकल्प हो सकता है। अधिकांश डेंटिस्ट अपने व्यापक लाभों के कारण डेंटल इंप्लांट्स की सलाह देते हैं। एक डेंटल इंप्लांट्स आस-पास के दांतों को प्रभावित नहीं करता है। आप प्राकृतिक दांतों का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

डॉ मनीष गौतम
बीडीएस,एमडीएस
सीनियर इंप्लांटोलॉजिस्ट, डेंटिका,रांची
सहायक प्राध्यापक (पु.) ,अवध डेंटल महाविद्यालय,जमशेदपुर
वरीय रेजिडेंट(पु.),रिम्स,रांची


डॉ माधवी सिंह
बीडीएस,एमडीएस
सीनियर इंप्लांटोलॉजिस्ट, डेंटिका,रांची
सह प्राध्यापक , पीरियोडोंटीक्स एंड इंप्लांटोलॉजी,विभाग

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