कोरोना की दूसरी लहर ने देश की वर्तमान स्वास्थ्य व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया। हर ओर आपाधापी थी, लोग अस्पतालों, जांच घर, दवाई दुकानों और शमशानो में लाइन लगाए हुए थे जो संक्रमण के शिकार हो रहे थे वह अस्पतालों में भर्ती हो रहे थे। इस दौरान एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक हर चिकित्सा पद्धति की ओर लोग रुख कर रहे थे। ज्यादातर लोग इस महामारी के संक्रमण से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे थे, हर बचाव को अपना रहे थे। लोगों का आयुर्वेदिक उत्पादों की ओर ज्यादा रुझान था लेकिन इसी बीच एक और पद्धति जिसे बहुत कम लोग जानते हैं वह भी कोरोना के इलाज में काफी कारगर साबित हुई है, यह पद्धति है स्पीजिरिक। यह पूरी तरह से पेड़ पौधों पर आधारित चिकित्सा पद्धति है। स्पेजरिक मेडिसिन की शुरुआत पैरासेल्सेस ने की थी। यह प्रणाली पूरी तरह से सुरक्षित है और इसकी दवाएं फिजियोलॉजी और हिस्टीयोलॉजी पर आधारित हैं जो कि लक्षण के उपचार के बजाए बीमारियों को जड़ से खत्म करती हैं।
ये दवाइयां लिंफ और ब्लड को शुद्ध करके मानव शरीर के अंग प्रणाली को संतुलित करके स्वस्थ करती हैं। हैनिमैन ने होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति शुरू की थी। इसके बाद डॉ. काउंटसीजर मैटी ने होम्योपैथी को और अधिक उन्नत करके विकसित किया और नई चिकित्सा पद्धति की शुरुआत की। इसे आज जर्मन होम्योपैथी फार्माकोपिया में क्रॉस स्पेजरिक और जिंपल स्पेजरिक के नाम से जाना जाता है।
चिकित्सा जगत में मैटी की इस प्रणाली को बचाने के लिए थियोडरक्रॉस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1917 में क्रॉस ने ही जर्मन फार्मासिस्ट जोहॉन्स सॉन्टेग और डॉ. जोहान डिंगफेल्डर के साथ मिलकर जेएसओ की शुरुआत की। वर्तमान में यह कंपनी इन दवाइयों को बनाती है और समय-समय पर प्रशिक्षण कैंपों का भी आयोजन करती है। इसकी दवाओं की मांग दुनियाभर में है।
दिल्ली में दशकों तक इस पद्धति पर काम करने के बाद डॉक्टर जैकी प्रसाद रांची में झारखंड की पहली स्पीजीरिक क्लीनिक नेचर स्पीजीरिक रेमेडीज (एन एस आर) के नाम से करीब दो वर्ष पहले शुरू की और इस दौरान कितने असाध्य रोगों के मरीजों को अपनी दवाइयों से और अपने अनुभव से लाभ पहुंचाया। सरकार कोरोना के इलाज के लिए पूर्णत: एलोपैथी पर ही टिकी थी, पर लोगों में अभी अपने पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की ओर रुझान है, इस कारण जब कोरोना पिक पर था तो हर दिन 20 से 25 मरीज अपनी समस्या को लेकर उनके पास आते थे और इन स्पीजीरिक दवाइयों से लगभग सभी मरीज ठीक भी हुए हैं।
हजारीबाग के मनोज सिंह जो पेशे से केमिस्ट हैं, कुछ दिनों पहले वे और उनका परिवार कोरोना के चपेट में आए थे और उन्होंने इस दौरान स्पीजीरिक दवाइयों का सेवन किया और पूर्ण रूप से स्वस्थ हुए। आइए जानते हैं मनोज जी का अनुभव:
मैं अपना कोविड अनुभव सबके साथ साझा करना चाहता हूं। मेरा परिवार नौ सदस्यों का है, मेरी पत्नी को किडनी की गंभीर समस्या है और मेरी माँ मधुमेह और सोरायसिस से पीड़ित है। इस वर्ष, मेरे परिवार का प्रत्येक सदस्य COVID19 से संक्रमित था। लेकिन उस कठिन समय में रांची के हरमू स्थित NSR द्वारा दी गई चिकित्सा से हम सब की इस वायरस से केवल 7-8 दिनों के भीतर ही बहुत अच्छी रिकवरी हुई थी। दवा ने वास्तव में हमारी उपचार प्रक्रिया में बहुत अच्छा काम किया है और हम सभी NSR के बहुत आभारी हैं।
इसी प्रकार श्रृष्टि सुमन जो पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, उन्होंने भी इस दवा का इस्तेमाल किया और उन्होंने भी अपना कोविड अनुभव साझा किया है। उन्होंने लिखा है: मैंने 21 अप्रैल से सिरदर्द और बुखार के साथ अपने कोविड के लक्षण विकसित करना शुरू कर दिया था। मैं इतना कमजोर हो गया था कि चल भी नहीं पा रहा था। मैं इतना चिंतित हो गया क्योंकि मुझे पहले से ही गुर्दे की समस्या है। मैं पहले से ही अपनी किडनी की समस्याओं के लिए एनएसआर द्वारा निर्धारित दवा पर था इसलिए मैंने अपने कोविड लक्षणों के लिए भी उनसे संपर्क किया। उन्होंने मुझे कोविड की तीन दवाएं दीं और अगले 15 दिनों तक इसे लेने की सलाह दी। दवाएँ लेने के बाद, 5 से 6 दिनों के भीतर मेरे शरीर का तापमान वापस बेसलाइन पर आ गया। 10 दिनों के बाद, मैंने अपनी ऊर्जा वापस प्राप्त करना शुरू कर दिया। इन दवाओं ने मेरे लिए सचमुच अच्छा काम किया। बहुत बहुत धन्यवाद NSR
डॉक्टर जैकी प्रसाद का मानना है की सरकार गंभीर मरीजों का इलाज तो एलोपैथिक और अस्पतालों में करें पर जिन्हें कम परेशानी हैं, जो कम संक्रमित हैं उनके लिए आयुष मंत्रालय के अधीन सभी आयुष अस्पतालों और अन्य चिकित्सा पद्धतियों को भी मान्यता दें क्योंकि इतने बड़े देश में एक चिकित्सा पद्धति पर इलाज पहुंचाना बहुत ही कठिन है। आशा है सरकार हमारी चिकित्सा पद्धति पर भी गौर करेगी और इसे भी सराहेगी और इसके उत्थान हेतु आगे भी आएगी।
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Yes, in the pandemic situation of corona I took medicine from NSR Harmu Ranchi, and work regularly without fear of corona.
I never feel the symptoms of corona.
I always feel good every time.
Thanks NSR to provide such miracle medicine.
Yes , in this pandemic situation ,we should not fully dependent on allopathy medicine ..we have to approach towards the integrated medicines like spagyric….. also for better health and result .
बिलकुल सत्य, स्पीजिरिक चिकित्सा पद्धति से अब तक मैंने और अपने परिवार और अपने मित्रो का वो जिस भी बीमारी से ग्रसित थे, का इलाज मेरे मित्र डॉ. जैकी से कराया है, उन्हें काफी लाभ हुआ है , सबसे बड़ी बात कि इस स्पीजिरिक के दवाइ से हमारे शरीर में कोई साइड इफ़ेक्ट का खतरा भी नहीं रहता / में अपना अनुभव भी बताना चाहूँगा कि स्पीजिरिक दवाई का सेवन गैस कि समस्या के लिए तीन महीने किया था, और अब वो डेढ़ साल से बिलकुल ठीक है/
Thanks NSR हरमू रांची to provide such miracle medicine.
मै आपके उज्जवल भविष्य कि कामना करता हु जैकी, आप इसी तरह लोगो का इलाज करते रहिये.